Saturday, September 22, 2012

मुलाकात

बड़े दिनों बाद आज उनसे मुलाकात हो गयी,
देखते ही उनको अचानक धड़कने तेज़ हो गयी।

एक दूसरे को देखते रहे इस तरह,
बिन कुछ कहे ही आँखें सब कह गयी।

लफ़्ज़ों की किसी को नहीं थी जरुरत,
इशारों में ही सारी बातें हो गयी।

आँशुओं का उमड़ा एक ऐसा सैलाब,
जिसमें सारी  शिकायतें बह गयी।

ना कुछ उन्होंने कहा ना कुछ हमने कहा,
परिस्थियाँ ही हालात बयां कर गयी।

थोड़ी देर में ही बिछड़ गए फिर से हम,
बस यादें ही हमारे दर्मियाँ रह गयी।

                             (राहुल  द्विवेदी)
                                          

Sunday, September 9, 2012

कभी कभी

कभी कभी वो पूछती है मुझ से,
मेरा रिश्ता क्या है उस से,
क्यों करता हूँ उस पर यकीन इतना,
क्यों चाहता हूँ उसको बेपनाह?

हंसी आती है मुझे सुनकर बातें उसकी,
सोचता हूँ कैसी नादान है ये,
जो कुछ भी नहीं जानती,
बिन कहे मेरी बातें नहीं समझ पाती।

कैसे बताऊँ मैं उसको की,
मेरे सपनों की बुनियाद है वो,
मेरी दुनिया की शुरुआत है वो,
अधूरी ज़िन्दगी जी रहा था मैं अभी तक,
मेरी सम्पूर्णता का एहसास है वो।

फिर सोचता हूँ ,
जब वो मेरे पास आएगी,
मेरी बाहों में खुद को महफूज पाएगी,
मेरे मन की सारी बातें समझ जायेगी,
अपने सवालों के जवाब खुद ही जान जाएगी।

                                      (राहुल द्विवेदी)