बड़े दिनों बाद आज उनसे मुलाकात हो गयी,
देखते ही उनको अचानक धड़कने तेज़ हो गयी।
एक दूसरे को देखते रहे इस तरह,
बिन कुछ कहे ही आँखें सब कह गयी।
लफ़्ज़ों की किसी को नहीं थी जरुरत,
इशारों में ही सारी बातें हो गयी।
आँशुओं का उमड़ा एक ऐसा सैलाब,
जिसमें सारी शिकायतें बह गयी।
ना कुछ उन्होंने कहा ना कुछ हमने कहा,
परिस्थियाँ ही हालात बयां कर गयी।
थोड़ी देर में ही बिछड़ गए फिर से हम,
बस यादें ही हमारे दर्मियाँ रह गयी।
(राहुल द्विवेदी)