Monday, April 5, 2010

दोस्ती

दोस्ती एक ऐसी प्यारी सी डोर है,
जो दो इंसानों को प्यार से जोड़ती है।


दोस्ती एक ऐसी सदाबहार रहगुजर है,
जो दो अनजानों को एक दूजे से मिलाती है।


दोस्ती एक ऐसा जादुई गुलशन है,
जो मुरझाये फूल खिला देती है।


दोस्ती एक ऐसी कोमल जंजीर है,
जो परायों को अपना बना लेती है।


दोस्ती एक ऐसा मजबूत बंधन है,
जो सारे भेद-भाव मिटा देती है।


दोस्ती एक ऐसा मधुर संगीत है,
जो सारे दुःख दूर कर देती है।


दोस्ती एक ऐसे रिश्ते का नाम है,
जिस से ज़िन्दगी में खुशियाँ आती हैं।


दोस्ती एक ऐसे इम्तहान का नाम है,
जिसमें दोस्तों की जान भी चली जाती है।


फिर भी सच तो यही है दोस्तों की.....

अगर इस दुनिया में दोस्ती न होती,
तो ये कब की ख़त्म हो चुकी होती।




(राहुल द्विवेदी)

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी एक ऐसी पहेली है,
जिसे आज तक कोई हल ना कर सका ।


ये वो उलझन है,
जिसे कोई कभी सुलझा ना सका।


हमने देखे हैं ज़िन्दगी के अनेकों रूप,
कभी रुलाती तो कभी हंसाती है ज़िन्दगी।


देखो अगर मेरी नज़रों से तुम,
तो कितनी हसीन है ज़िन्दगी।


बन जाओ अगर तुम मेरे हमसफ़र,
साथ मिल कर बिताएंगे ज़िन्दगी।


हम दोनों साथ मिलकर,
सजायेंगे ज़िन्दगी, सवारेन्गे ज़िन्दगी।


ज़िन्दगी नाम है जिंदादिली का,
डरकर जीना नहीं है ज़िन्दगी।


मिलने वाले बिछड़ जाते हैं और बिछड़े हुए मिल जाते हैं,
ओ, मेरे दोस्तों इसी का तो नाम है ज़िन्दगी।


इसी का तो नाम है ज़िन्दगी..........


(राहुल द्विवेदी)

बचपन

बहुत ही प्यारा और मासूम होता है बचपन,
हर गुनाह से दूर होता है बचपन।


मा की ममता में पलता है बचपन,
पिता के आशीर्वाद से सावरता है बचपन।


भाई के प्यार से खिलता है बचपन,
बहन की दुवाओं से निखरता है बचपन।


दोस्तों के साथ में मचलता है बचपन,
अपनों की महफिल मे चहकता है बचपन।


हर इंसान की यादों में बसता है बचपन,
हम-तुम सभी लौटाना चाहते हैं बचपन।


क्योंकि..............

हर रंग में रंगता है बचपन,
हर ढंग में जमता है बचपन।


हर मौसम का मजा लेता है बचपन,
हर किसी को अपना बना लेता है बचपन।


इसीलिए तो कहता हूँ की.....
बहुत ही प्यारा और मासूम होता है बचपन.



(राहुल द्विवेदी)