Monday, October 21, 2013

बरसात

सावन की सुहानी झड़ी है,
तुमसे मिलने की बेचैनी बड़ी है. 

रिमझिम रिमझिम गिरती बूंदों में,
तुझको बाहों में लेने की हसरत हुई है. 

तेरे माथे पर सजी ये बिंदिया,
चम चम चमकती बिजली लग रही है. 

लहराती हुई तेरी ये जुल्फें,
काली घटा का एहसास कराती हैं.

तू मेरे साथ रहे ज़िन्दगी भर,
हर पल रब से यही गुजारिश है. 
 

    (ब्रजेश द्विवेदी)