Wednesday, October 24, 2012

कन्या .....

नवरात्री,
एक पावन पर्व,
नौ दुर्गा, नौ देवी,
नौ माता, नौ कन्यायें,
पूजा करता इनकी,
ये हमारा समाज।

दूसरी ओर,
घर में आती कन्या का,
पहले ही पता लगाता,
उसकी मौत की साजिश करता,
मानवता को लज्जित करता,
ये हमारा समाज।

समाज के ये दो चेहरे,
कौन सा है सच्चा,
और कौन सा झूठा,
निर्णय करना होगा हमको,
देवी, दुर्गा, जननी है,
या  फिर कन्या है अभिशाप।

बंद करो ये अत्याचार,
खिलने दो कलियाँ आँगन में,
वरना एक दिन पछताओगे,
लड़के को जन्म देने वाली माँ,
घर को सवाँरने वाली बहू,
फिर किस दुनिया से लाओगे।

                    (राहुल द्विवेदी)

विजयादशमी

विजयादशमी, विजय का त्यौहार,
उल्ल्हास का माहौल और खुशियों की बहार।

राम ने मारा रावण को,
किया पाप और अधर्म का नाश,
बुराई और घमण्ड का विनाश,
हुई सत्य की जीत, असत्य की हार।

लेकर भ्रष्टाचार का रूप,
आज फिर एक रावण पैदा हो गया है,
अपने शिकंजे में वो सबको जकड़ रहा है,
हर रोज बढ रहा इसका आकार।

इसका सामना करने के लिए,
अब हम सब को एकजुट होना होगा,
इंकलाब जिंदाबाद फिर से कहना होगा,
भरनी होगी इक नयी क्रांती की हुंकार।

कर लो शपथ आज के पावन दिन,
अन्याय से लड़ने का, सत्य को जीताने का,
पाप का नाश कर भ्रष्टाचार मिटाने का,
अपनी मातृभूमी को फिरसे करने को गुलज़ार।

                                 (राहुल द्विवेदी)

Wednesday, October 10, 2012

मैं, तेरे लिए...

मैं कोई मौसम नहीं जो बदल जाऊँगा,
मैं वो अरमान नहीं जो मचल जाऊँगा,
मैं तो तेरे दिल में छुपी चाहत हूँ,
बस तेरी धडकनों में सिमट जाऊँगा।

मैं कोई यादें नहीं जो मिट जाऊँगा,
मैं वो खुशबू नहीं जो बिखर जाऊँगा,
मैं तो तेरे प्यार की जरुरत हूँ,
तेरी रूह में शामिल हो जाऊँगा।

मैं कोई ख्वाब नहीं जो टूट जाऊँगा,
मैं वो प्यार नहीं जो रूठ जाऊँगा,
मैं तो तेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हूँ,
तुझसे अलग होते ही ख़त्म हो जाऊँगा।

                                         (राहुल द्विवेदी)

ये कैसा भारत निर्माण......

भूख से हर दिन मरते गरीब,
और गोदामों में सड़ता अनाज,
ये कैसा भारत निर्माण......

टूटी फूटी सड़कें सारी ,
और जाम से होता अकाज,
ये कैसा भारत निर्माण......

जनता के पैसों से देखो,
हो रहा है भ्रष्टाचार,
ये कैसा भारत निर्माण......

सरकार का विरोध ना करना,
वरना हो जाओगे गिरफ्तार ,
ये कैसा भारत निर्माण......

कमर तोड़ती महंगाई है,
जिसको तुम कह रहे विकास,
ये कैसा भारत निर्माण......

चारों तरफ़ है घोर निराशा,
जनता का उठता तुम से विश्वास,
ये कैसा भारत निर्माण......

बोलने की आज़ादी छिनती,
अधिकारों का होता ह्वास ,
ये कैसा भारत निर्माण......

                           (राहुल द्विवेदी)
           

Wednesday, October 3, 2012

तेरे लीए

ये दुनिया कभी नहीं समझ पायेगी,
मेरे दिल में हैं जो जज्बात तेरे लीए।

इसको तो आदत है दिलों को तोड़ने की,
टूट कर भी मेरा दिल धड़केगा तेरे लीए।

जानता हूँ सब कुछ लुट जाता है प्यार में,
तेरे प्यार में लुट कर भी आबाद हूँ तेरे लीए।

तुझे भी ही मेरी इस बात का एतेबार,
की चलती है मेरी हर सांस तेरे लीए।


                         (राहुल द्विवेदी)