Monday, November 19, 2012

इंतजार

इंतजार करना होता है बहुत मुश्किल,
इसलिए इंतजार मत करना कभी,
जब यादें बहुत सताने लगे,
तो बस उसके पास चले जाना,
उसका हाथ थाम लेना,
और कह देना उससे,
बस बहुत हुआ,
अब और इन्तजार नहीं करना,
अब और दूर दूर नहीं रहना,
चल इस दुनिया से दूर कहीं,
एक नयी दुनिया बसाते हैं,
हम दोनों साथ मिलकर,
अपनी जिंदगी बिताते हैं.....

        (राहुल द्विवेदी)

चाहत

हमें तुमसे प्यार है इतना,
जितना चाँद को चकोर से,
जितना प्यासे को पानी से,
जितना मोर को सावन से,
जितना पपीहे को बारिश से।

हमें तुम्हारी चाहत है इतनी,
जितनी दिल को धड़कन की,
जितनी सागर को लहर की,
जितनी रात को चांदनी की,
जितनी ज़िन्दगी को सांस की।

हमें तुम्हे आरज़ू है ऐसी,
जैसी धरती को सूरज की,
जैसी फूलों को खुशबू की,
जैसी आँखों को सपनों की,
जैसी सुरों को सरगम की।

      (राहुल द्विवेदी)

एहसास

किसी के साथ होने का एहसास,
जीने की वजह बन जाता है।

किसी से प्यार होने का एहसास,
सारे गम भुला देता है।

किसी की बाहों में होने का एहसास,
जन्नत का सुख दिला देता है।

किसी को बाहों में लेने का एहसास,
सारी तन्हाई मिटा देता है।

किसी की गोद में सर रखने का एहसास,
हमारे अधूरेपन को दूर कर देता है।

                          (राहुल द्विवेदी)

गलती

उसको दोष न दो ऐ दुनिया वालों,
उससे मोहब्बत करने की गलती मेरी थी।

उसने तो हँस कर बात की थी मुझसे,
उसको इकरार समझने की गलती मेरी थी।

उसने तो अपनी लटों को सुलझाया था,
उन लटों में उलझने की गलती मेरी थी।

उसने तो रोका था मुझको सपनों में खोने से,
उसके सपने देखने की गलती मेरी थी।

कहा था उसने एक दिन छोड़ जायेगी वो मुझको,
उसकी बात ना समझ पाने की गलती मेरी थी।

                         (राहुल द्विवेदी)

आँसू

तेरी आँखों में आँसू अच्छे नहीं लगते,
बहुत कीमती हैं ये मोती, इनको यूँ जाया नहीं करते।

हर कोई नहीं समझता इनकी अहमियत,
हर किसी के सामने इन्हें दिखाया नहीं करते।

रोक ले इनको तुझे कसम है मेरी,
अपने चाहने वालों को यूँ सताया नहीं करते।

                    (राहुल द्विवेदी)

चाहत

चाहत का इकरार है तुझसे,
रिश्ता कोई खास है तुझसे।

तूने दिल में बस कर,
दिया एक एहसास है मुझको,
कहते हैं प्यार जिसे,
शायद वही प्यार है तुझसे।

तन्हा अकेली रातों में,
तेरी यादें देती हैं सहारा,
अक्सर तेरी यादें ही,
मुझको मिला देती हैं तुझसे।


मिलने की उम्मीद में,
जीये जा रहा हूँ ज़िन्दगी,
मगर मेरी किस्मत में,
शायद नहीं है मिलना तुझसे।


              (राहुल द्विवेदी)

Monday, November 12, 2012

दीपावली

दीपावली,
प्रकाश का पर्व,
एक सन्देश देता है हमको,
की अँधेरा कितना ही घना क्यों न हो,
प्रकाश की एक ही किरण,
उसका नामोनिशान मिटा देती है।

दीपावली,
दीपों का पर्व,
एक सन्देश देता है हमको,
की दीपक की तरह जलो,
अपने पथ से भ्रमित हैं जो,
उनको सही पथ दिखाओ।

दीपावली,
एक पर्व उमंग का, उल्लाष का,
अपनों के साथ का, विश्वाश का,
इस दीवाली आपके अपने आपके साथ हों,
हर लम्हा खुशियों की बरसात हो,
मेरी यही प्रार्थना ईश्वर को स्वीकार हो।

                  (राहुल द्विवेदी)

Wednesday, October 24, 2012

कन्या .....

नवरात्री,
एक पावन पर्व,
नौ दुर्गा, नौ देवी,
नौ माता, नौ कन्यायें,
पूजा करता इनकी,
ये हमारा समाज।

दूसरी ओर,
घर में आती कन्या का,
पहले ही पता लगाता,
उसकी मौत की साजिश करता,
मानवता को लज्जित करता,
ये हमारा समाज।

समाज के ये दो चेहरे,
कौन सा है सच्चा,
और कौन सा झूठा,
निर्णय करना होगा हमको,
देवी, दुर्गा, जननी है,
या  फिर कन्या है अभिशाप।

बंद करो ये अत्याचार,
खिलने दो कलियाँ आँगन में,
वरना एक दिन पछताओगे,
लड़के को जन्म देने वाली माँ,
घर को सवाँरने वाली बहू,
फिर किस दुनिया से लाओगे।

                    (राहुल द्विवेदी)

विजयादशमी

विजयादशमी, विजय का त्यौहार,
उल्ल्हास का माहौल और खुशियों की बहार।

राम ने मारा रावण को,
किया पाप और अधर्म का नाश,
बुराई और घमण्ड का विनाश,
हुई सत्य की जीत, असत्य की हार।

लेकर भ्रष्टाचार का रूप,
आज फिर एक रावण पैदा हो गया है,
अपने शिकंजे में वो सबको जकड़ रहा है,
हर रोज बढ रहा इसका आकार।

इसका सामना करने के लिए,
अब हम सब को एकजुट होना होगा,
इंकलाब जिंदाबाद फिर से कहना होगा,
भरनी होगी इक नयी क्रांती की हुंकार।

कर लो शपथ आज के पावन दिन,
अन्याय से लड़ने का, सत्य को जीताने का,
पाप का नाश कर भ्रष्टाचार मिटाने का,
अपनी मातृभूमी को फिरसे करने को गुलज़ार।

                                 (राहुल द्विवेदी)

Wednesday, October 10, 2012

मैं, तेरे लिए...

मैं कोई मौसम नहीं जो बदल जाऊँगा,
मैं वो अरमान नहीं जो मचल जाऊँगा,
मैं तो तेरे दिल में छुपी चाहत हूँ,
बस तेरी धडकनों में सिमट जाऊँगा।

मैं कोई यादें नहीं जो मिट जाऊँगा,
मैं वो खुशबू नहीं जो बिखर जाऊँगा,
मैं तो तेरे प्यार की जरुरत हूँ,
तेरी रूह में शामिल हो जाऊँगा।

मैं कोई ख्वाब नहीं जो टूट जाऊँगा,
मैं वो प्यार नहीं जो रूठ जाऊँगा,
मैं तो तेरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हूँ,
तुझसे अलग होते ही ख़त्म हो जाऊँगा।

                                         (राहुल द्विवेदी)

ये कैसा भारत निर्माण......

भूख से हर दिन मरते गरीब,
और गोदामों में सड़ता अनाज,
ये कैसा भारत निर्माण......

टूटी फूटी सड़कें सारी ,
और जाम से होता अकाज,
ये कैसा भारत निर्माण......

जनता के पैसों से देखो,
हो रहा है भ्रष्टाचार,
ये कैसा भारत निर्माण......

सरकार का विरोध ना करना,
वरना हो जाओगे गिरफ्तार ,
ये कैसा भारत निर्माण......

कमर तोड़ती महंगाई है,
जिसको तुम कह रहे विकास,
ये कैसा भारत निर्माण......

चारों तरफ़ है घोर निराशा,
जनता का उठता तुम से विश्वास,
ये कैसा भारत निर्माण......

बोलने की आज़ादी छिनती,
अधिकारों का होता ह्वास ,
ये कैसा भारत निर्माण......

                           (राहुल द्विवेदी)
           

Wednesday, October 3, 2012

तेरे लीए

ये दुनिया कभी नहीं समझ पायेगी,
मेरे दिल में हैं जो जज्बात तेरे लीए।

इसको तो आदत है दिलों को तोड़ने की,
टूट कर भी मेरा दिल धड़केगा तेरे लीए।

जानता हूँ सब कुछ लुट जाता है प्यार में,
तेरे प्यार में लुट कर भी आबाद हूँ तेरे लीए।

तुझे भी ही मेरी इस बात का एतेबार,
की चलती है मेरी हर सांस तेरे लीए।


                         (राहुल द्विवेदी)

Saturday, September 22, 2012

मुलाकात

बड़े दिनों बाद आज उनसे मुलाकात हो गयी,
देखते ही उनको अचानक धड़कने तेज़ हो गयी।

एक दूसरे को देखते रहे इस तरह,
बिन कुछ कहे ही आँखें सब कह गयी।

लफ़्ज़ों की किसी को नहीं थी जरुरत,
इशारों में ही सारी बातें हो गयी।

आँशुओं का उमड़ा एक ऐसा सैलाब,
जिसमें सारी  शिकायतें बह गयी।

ना कुछ उन्होंने कहा ना कुछ हमने कहा,
परिस्थियाँ ही हालात बयां कर गयी।

थोड़ी देर में ही बिछड़ गए फिर से हम,
बस यादें ही हमारे दर्मियाँ रह गयी।

                             (राहुल  द्विवेदी)
                                          

Sunday, September 9, 2012

कभी कभी

कभी कभी वो पूछती है मुझ से,
मेरा रिश्ता क्या है उस से,
क्यों करता हूँ उस पर यकीन इतना,
क्यों चाहता हूँ उसको बेपनाह?

हंसी आती है मुझे सुनकर बातें उसकी,
सोचता हूँ कैसी नादान है ये,
जो कुछ भी नहीं जानती,
बिन कहे मेरी बातें नहीं समझ पाती।

कैसे बताऊँ मैं उसको की,
मेरे सपनों की बुनियाद है वो,
मेरी दुनिया की शुरुआत है वो,
अधूरी ज़िन्दगी जी रहा था मैं अभी तक,
मेरी सम्पूर्णता का एहसास है वो।

फिर सोचता हूँ ,
जब वो मेरे पास आएगी,
मेरी बाहों में खुद को महफूज पाएगी,
मेरे मन की सारी बातें समझ जायेगी,
अपने सवालों के जवाब खुद ही जान जाएगी।

                                      (राहुल द्विवेदी)