Wednesday, September 28, 2011

तेरे साथ...

तेरी आँखों से हर सपना हसीन लगता है,
तेरे होठों पे हर नगमा हसीन लगता है.

तेरी बातों से दिल मचलने लगता है,
तुझे पाने के लिए तड़पने लगता है.

मन तेरा इन्तजार करने लगता है,
मिलने की ख्वाहिश करने लगता है.

यादों का सिलसिला थमने लगता है,
जब दिल तेरे करीब रहने लगता है.

तेरे संग हर लम्हा खुशनसीब लगता है,
तू ही मुझको मेरा हबीब लगता है.


                        (राहुल द्विवेदी)

कोई

क्यों सपने दिखा कर तोड़ जाता है कोई,
क्यों अपना बना कर भूल जाता है कोई.

साथ रहने की आदत देने के बाद,
क्यों अकेला छोड़ जाता है कोई.

हर पल की चाहत बन जाने के बाद,
क्यों हर पल में एक दर्द दे जाता है कोई.

दिल की धडकनों में बस जाने के बाद,
क्यों धडकनें चुरा ले जाता है कोई.


                  (राहुल द्विवेदी)

Sunday, September 4, 2011

अन्ना

अन्ना ने अन्न छोड़ अनशन से नाता जोड़ा,
भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नया संग्राम छेड़ा |

भ्रष्ट तंत्र से तंग जनता ने अन्ना का साथ निभाया,
जन लोकपाल के लिए पूरा देश एक साथ आया |

सरकारी चमचों ने अन्ना के खिलाफ बुलंद आवाज उठाई,
पर अन्नागिरी के सामने उनकी एक न चल पाई |

देश के कोने-कोने से अन्ना को समर्थन मिला,
विदेशियों ने भी उनकी अन्नागिरी से सीख लिया |

जनता की अन्नागिरी के आगे सरकार को झुकना पड़ा.
अन्ना के तीनों प्रस्तावों को संसद में पेस करना पड़ा |

जनता ने इस जीत का शानदार जश्न मनाया.
बच्चों ने जूस पिला कर अन्ना का अनशन तुड़वाया |

अन्ना ने जो राह दिखाई है उस पर आगे चलते जाना है दोस्तों,
भ्रष्टाचार से अपने प्यारे देश को मुक्त कराना है दोस्तों |


                                                      (राहुल द्विवेदी)


Saturday, July 2, 2011

तेरे बिन

जब से देखा है तुझको,
मेरी आँखों में तेरा चेहरा है,
मेरी सांसों में तेरी खुशबू है,
मेरी नीदों में तेरा सपना है.

जब से सोचा है तुझको,
मेरी यादों पर तेरा पहरा है,
वक़्त तेरे आँचल में ठहरा है,
मेरा जीवन खुशियों से भरा है.

जब से चाहा है तुझको,
मेरे दिल में तेरी धड़कन है,
मेरे होंठों पे तेरा फ़साना है,
तेरे बिन बेरंग ये ज़माना है.

(राहुल द्विवेदी)

तमन्ना

हमारी तमन्ना है तुम्हें दिल में बसाने की, 
हमारी ख्वाहिश है तुम्हें अपना बनाने की.

मिल जाओ अगर तुम फिर ख्वाहिश नहीं कुछ पाने की,
ज़िन्दगी में साथ हो तुम्हारा फिर परवाह नहीं ज़माने की.

सोचता रहता हूँ हरवक्त तरकीब तुम्हें पाने की,
दिल की तमन्ना है तुम्हारी बाहों में सो जाने की.

चाहत है लुट कर भी तुम्हें आबाद कर जाने की,
हसरत है मर कर भी साथ तुम्हारा पाने की.

(राहुल द्विवेदी)