अरे ओ पुरुष प्रधान समाज....
मंदिरों में जाकर
नारी की
देवी के रूप में पूजा
बंद कर।
दे सकता है कुछ अगर
तो दे उनको
मान सम्मान
इज्ज़त और प्यार।
वो नहीं चाहती तुझसे
देवी का स्थान
वो तो तुझसे चाहती है बस
इज्ज़त और मान।
पर क्यों तू उसको
देता है दर्द
सताता और तड़पता है उसको
उसके साथ क्यों
दरिंदो जैसा पेश आता है।
याद रख उसके बिना
ना तू था
ना रह सकता है
और ना ही रहेगा....
याद रख उसके साथ जुड़ा है तू
वो नहीं तो तू भी नहीं।
बंद कर नारी का ये अपमान
दे उसको उसका अधिकार
उसका सम्मान
देख उसमे अपनी
माँ, बहन और बेटी
कर उसकी सुरक्षा
ताकि ना रहे वो रोती।
(ब्रजेश द्विवेदी)
मंदिरों में जाकर
नारी की
देवी के रूप में पूजा
बंद कर।
दे सकता है कुछ अगर
तो दे उनको
मान सम्मान
इज्ज़त और प्यार।
वो नहीं चाहती तुझसे
देवी का स्थान
वो तो तुझसे चाहती है बस
इज्ज़त और मान।
पर क्यों तू उसको
देता है दर्द
सताता और तड़पता है उसको
उसके साथ क्यों
दरिंदो जैसा पेश आता है।
याद रख उसके बिना
ना तू था
ना रह सकता है
और ना ही रहेगा....
याद रख उसके साथ जुड़ा है तू
वो नहीं तो तू भी नहीं।
बंद कर नारी का ये अपमान
दे उसको उसका अधिकार
उसका सम्मान
देख उसमे अपनी
माँ, बहन और बेटी
कर उसकी सुरक्षा
ताकि ना रहे वो रोती।
(ब्रजेश द्विवेदी)