Monday, May 6, 2013

अपना देश

ऐ मेरे देश के लोगों ये क्या हो गया?
कैसे हमारा शासक एक चोर बन गया?

दुश्मनों की फ़ौज है घेर रही हमको,
हमारा बिलकुल भी खौफ नहीं रहा अब।

हर देश आज हमको दिखा रहा है आँखें,
जबरदस्ती आकर सीमा में हमारी झांके।

मर रहे हमारे लोग, हमारे सैनिक,
हमारे नेताओं को इनकी परवाह नहीं तनिक।

एक दूसरे से लड़ते झगड़ते हमारे शासक,
घपलों और घोटालों में व्यस्त ये प्रशासक।

प्रजातंत्र का कर लिया है इन्होने चीरहरण,
लूटतंत्र का ये हर पल में कर रहे वरण।

आतंकियों के मरने पर मचा करके शोर,
शहीदों को अपमानित कर रहे हर ओर।

कब तक इन अपमानों को हम सहते रहेंगे,
इन भ्रष्टों की खातिर आपस में हम लड़ेंगे।

अपने देश को इनके पंजे से बचाना होगा,
हमे अपने देश का हर कर्ज़ चुकाना होगा।

कर लो शपथ की अब नहीं झेलेंगे भ्रष्टाचारियों को,
जड़ समेत उखाड़ फेंकेंगे हम इन अत्याचारियों को।

अपना घर, अपना देश और अपना ये वतन,
हिफाजत इसकी करेंगे हम दे कर अपना तन, मन, धन।


                  (राहुल द्विवेदी)       


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