विजयादशमी, विजय का त्यौहार,
उल्ल्हास का माहौल और खुशियों की बहार।
राम ने मारा रावण को,
किया पाप और अधर्म का नाश,
बुराई और घमण्ड का विनाश,
हुई सत्य की जीत, असत्य की हार।
लेकर भ्रष्टाचार का रूप,
आज फिर एक रावण पैदा हो गया है,
अपने शिकंजे में वो सबको जकड़ रहा है,
हर रोज बढ रहा इसका आकार।
इसका सामना करने के लिए,
अब हम सब को एकजुट होना होगा,
इंकलाब जिंदाबाद फिर से कहना होगा,
भरनी होगी इक नयी क्रांती की हुंकार।
कर लो शपथ आज के पावन दिन,
अन्याय से लड़ने का, सत्य को जीताने का,
पाप का नाश कर भ्रष्टाचार मिटाने का,
अपनी मातृभूमी को फिरसे करने को गुलज़ार।
(राहुल द्विवेदी)
उल्ल्हास का माहौल और खुशियों की बहार।
राम ने मारा रावण को,
किया पाप और अधर्म का नाश,
बुराई और घमण्ड का विनाश,
हुई सत्य की जीत, असत्य की हार।
लेकर भ्रष्टाचार का रूप,
आज फिर एक रावण पैदा हो गया है,
अपने शिकंजे में वो सबको जकड़ रहा है,
हर रोज बढ रहा इसका आकार।
इसका सामना करने के लिए,
अब हम सब को एकजुट होना होगा,
इंकलाब जिंदाबाद फिर से कहना होगा,
भरनी होगी इक नयी क्रांती की हुंकार।
कर लो शपथ आज के पावन दिन,
अन्याय से लड़ने का, सत्य को जीताने का,
पाप का नाश कर भ्रष्टाचार मिटाने का,
अपनी मातृभूमी को फिरसे करने को गुलज़ार।
(राहुल द्विवेदी)
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