Monday, November 19, 2012

चाहत

हमें तुमसे प्यार है इतना,
जितना चाँद को चकोर से,
जितना प्यासे को पानी से,
जितना मोर को सावन से,
जितना पपीहे को बारिश से।

हमें तुम्हारी चाहत है इतनी,
जितनी दिल को धड़कन की,
जितनी सागर को लहर की,
जितनी रात को चांदनी की,
जितनी ज़िन्दगी को सांस की।

हमें तुम्हे आरज़ू है ऐसी,
जैसी धरती को सूरज की,
जैसी फूलों को खुशबू की,
जैसी आँखों को सपनों की,
जैसी सुरों को सरगम की।

      (राहुल द्विवेदी)

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